स्पेशल फोर्सेस के स्पेशल फोर्सेज के जवान इतने जांबाज और खतरनाक होते हैं कि इनकी मौजूदगी में एक परिंदा भी बिना इजाजत पर नहीं मार सकता. तमाम तरह के आधुनिक हथियारों से लैस इस फोर्स के जवान हर तरह की सिचुएशंस में लड़ने के लिए तैयार रहते हैं.
तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम दुनिया के ऐसे ही 10 सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्सेस के बारे में जानते हैं. इनके सामने गुनहगारों को पानी मांगने का भी मौका नहीं मिलता है.
10. Special Task Force Sri Lanka
श्रीलंका के स्पेशल टास्क फोर्स यानि एसटीएफ का गठन 1983 में तमिल टाइगर से लड़ने और विद्रोहियों को खत्म करने के मकसद से किया गया था. ये एक हाइली स्पेशलाइज्ड पुलिस यूनिट है, जिसके सामने मिलिट्री फोर्स भी कमतर है. एसटीएफ में लगभग आठ हजार जवान शामिल हैं जिनमें अधिकतर जवानों की तैनाती श्रीलंका के ईस्टर्न प्रोविंस में की गई है.
अपने मिशन में सौ प्रतिशत कामयाब रहने वाले एसटीएफ के जवान दूसरे देशों की पुलिस को भी ट्रेनिंग देते हैं. 2008 बीजिंग ओलंपिक के दौरान किसी भी संभावित आतंकवादी हमले को रोकने के लिए एसटीएफ के ऑफिसर्स ने चाइनीज अथॉरिटी की मदद की थी. एसटीएफ के जवान अपने साथ असॉल्ट राइफल्स, हैंडगन, सब मशीनगन, मोर्टार, मशीन गन्स, रॉकेट लॉन्चर्स, ग्रेनेड लॉन्चर्स और मिसाइल लॉन्चर्स जैसे आधुनिक हथियार लेकर चलते हैं.
9. Grupo Especial de Operaciones
1970 के दशक में जब स्पेन में आतंकवाद अपने चरम पर पहुंच चुका था तब इसको खत्म करने के लिए Grupo Especial de Operaciones या GEO की स्थापना की गई थी. टेरेरिज्म के खात्मे के अलावा GEO वीआईपी प्रोटेक्शन ड्यूटी, एयरक्राफ्ट हाईजैकिंग, समुद्री खतरे और बंधकों को अपराधियों के हाथ से छुड़ाने की ज़िम्मेदारी भी निभाता है. GEO का सेलेक्शन प्रॉसेस काफी टफ है.
GEO में शामिल होने के लिए वही लोग अप्लाई कर सकते हैं जो कम से कम पिछले दो सालों से स्पैनिश पुलिस में हों. इसके अलावा मार्शल आर्ट्स, स्कूबा डाइविंग, या एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट में से कोई एक स्किल होना भी जरूरी है. GEO में शामिल होने के लिए जितने भी कैंडिडेट्स अप्लाई करते हैं उनमें से मात्र 3 प्रतिशत को ही कामयाबी मिल पाती है. GEO के जवान असॉल्ट राइफल्स, स्नाइपर राइफल्स, सब मशीनगन और इलेक्ट्रो शॉक वेपन्स जैसे हथियार अपने पास रखते हैं.
8. French Police National Red France
फ्रेंच पुलिस की यह एलीट टैक्टिकल यूनिट कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस यूनिट में सिर्फ 450 मेंबर्स ही हैं. इन 450 एक्टिव मेंबर्स को अलग अलग सेक्शन में बांटा जाता है. सभी सेक्शन में मैक्सिमम 60 मेंबर्स होते हैं और ये 60 जवान ही मिलकर आतंकवादियों और अपराधियों की बैंड बजा सकते हैं. रेड नाम से मशहूर इस स्पेशल फोर्स की स्थापना 1950 में की गई थी.
काउंटर टेररिज्म, प्रोटेक्शन वीआईपी, होस्टेज रिकवरी ऐंड डेंजरस या हाई प्रोफाइल क्रिमिनल्स की गिरफ्तारी जैसे कामों में रेड की मदद मिल जाती है. रेड दूसरे देशों के पुलिस फोर्स को ट्रेनिंग भी देता है. रेड के जवानों का यूनिफॉर्म कंप्लीट ब्लैक होता है. ये हमेशा आर्मर्ड व्हीकल्स में सफर करते हैं और इनके पास लगभग सभी तरह के आधुनिक हथियार होते हैं.
7. grupo de operaciones especiales (méxico)
मैक्सिको एक ऐसा देश है जहां के हर गली मोहल्ले में गैंग्स ऑफ वासेपुर का हर करेक्टर बसता है. गैंग वॉर, ड्रग्स ट्रैफिकिंग और ऑर्गनाइज्ड क्राइम दशकों से इस देश के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बना हुआ है. इसी मुसीबत को खत्म करने के लिए grupo de operaciones especiales या गोप्स नाम के स्पेशल कोर्ट की स्थापना की गई है.
गोप्स के मेंबर्स को कई देशों के एलीट स्पेशल फोर्स से ट्रेनिंग मिलती है. कई अलग अलग एलीट स्पेशल फोर्स के द्वारा ट्रेनिंग हासिल करने की वजह से गोप्स के जवान हर तरह से इस सिचुएशन को कंट्रोल करने में महारत हासिल कर चुके हैं. इनके पास असॉल्ट राइफल, ग्रेनेड लॉन्चर, मशीन गन्स, एसएनजी शॉट और पिस्टल जैसे हथियार शामिल होते हैं.
6. Yamam of Israel
1974 में आतंकवादियों ने कई स्कूली बच्चों की हत्या कर दी थी. इस घटना से सबक लेते हुए इजराइल ने काउंटर टेररिजम यूनिट यमाम की स्थापना की. यमाम की रिस्पॉन्सिबिलिटी बंधक बनाए हुए लोगों को रेस्क्यू करना है. इसके अलावा इस फोर्स के जवान आतंकवादियों को खत्म करने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं. इसमें लगभग 200 मेंबर्स होते हैं. यमाम में शामिल होने के लिए वैसे वे लोग ही अप्लाई कर सकते हैं जिन्होंने इजरायली डिफेंस फोर्स में तीन साल का इंफेंट्री सर्विस कंप्लीट कर लिया.
सेलेक्शन प्रॉसेस के दौरान अप्लीकेंट्स को हेल्वीक से गुजरना होता है जिसे दुनिया का सबसे मुश्किल टेस्ट माना जाता है. सेलेक्शन कंप्लीट होने के बाद कैंडिडेट्स को छह महीने तक कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. यमाम के पास पिस्टल, सिंगल शॉट गन्स और असॉल्ट राइफल जैसे हथियार होते हैं. यमाम के ज्यादातर मिशन को सीक्रेट रखा जाता है.
5. BOPE of Brazil
यह कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह टास्क फोर्स डेथ स्क्वॉड के नाम से मशहूर हो चुका है. BOPE की स्थापना 1978 में की गई थी. BOPE का मिशन ड्रग ट्रैफिकिंग को रोकना, हाईप्रोफाइल क्रिमिनल्स को गिरफ्तार करना, गैंग्स को खत्म करना और बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाना है. BOPE से जवान डेंजरस क्रिमिनल्स को ऑन द स्पॉट गोली मारने के लिए जाने जाते हैं.
ग्रुप में शामिल होने के लिए काफी टफ ट्रेनिंग कंप्लीट करनी होती है. ट्रेनिंग के दौरान सबसे मुश्किल टेस्ट यह होता है कि कैंडिडेट्स को तीन दिनों तक बिना खाने के सिर्फ पानी पीकर लगातार जागते रहना है. यदि इन तीन दिनों में किसी को भी हल्की सी भी नींद आ गई तो उसे डिस्क्वालीफाई कर दिया जाता है. BOPE के जवान अपने साथ लगभग सभी तरह के हैवी हथियार लेकर चलते हैं.
4. JUNGLA of colombia
कोलंबिया ऐसा देश है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस देश की सड़कों पर ड्रग डीलर्स की हुकूमत चलती है और लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए गए पुलिसकर्मी खुद खौफ के साये में रहते हैं. ड्रग ट्रैफिकिंग और ड्रग वॉर दशकों से इस देश की सबसे बड़ी समस्या रही है.
इस समस्या को खत्म करने के लिए ही जंगला ऑफ कोलंबिया नाम के इस स्पेशल टॉस्क फोर्स की स्थापना की गई है. यह टास्क फोर्स ड्रग ट्रैफिकिंग रोकने के साथ ही देश में क्राइम को खत्म करने की दिशा में भी काम करता है. जंगला के मेंबर्स को अमेरिका के द्वारा ट्रेनिंग और हथियार उपलब्ध कराए जाते हैं.
3. Swot of united states
Swot की स्थापना 1960 के आसपास दंगा नियंत्रण टीम के रूप में की गई थी. धीरे-धीरे Swot की जिम्मेदारी बढ़ती गई. 1980-90 के बीच वॉर और ड्रग्स मिशन के दौरान ड्रग्स की समस्या को खत्म करने के लिए Swot ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नाइन इलेवन अटैक के बाद आतंकवाद की रोकथाम में भी इसका उपयोग किया जाने लगा. Swot के मेंबर्स की संख्या हजारों में है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में हर साल लगभग 50 हजार बार Swot टीम की जरूरत पड़ती है. इनमें से ज्यादातर मामले नारकोटिक्स के होते हैं. किसी भी हाई रिस्क सिचुएशन को कंट्रोल करने के लिए Swot टीम की मदद ली जाती है. Swot टीम सब मशीन गन, कार्बाइन, असॉल्ट राइफल, शॉट गन्स, टीयर गैस, ग्रेनेड और स्नाइपर राइफल जैसे हथियारों का इस्तेमाल करती है.
2. MARCOS, India
मरीन कमांडो फोर्स यानी मार्कोस इंडियन नेवी का स्पेशल फोर्स यूनिट है जिसकी ज़िम्मेदारी स्पेशल ऑपरेशंस को अंजाम तक पहुंचाना होता है. मार्कोस जमीन, ऊंचे पहाड़ों, हवा और पानी हर जगह पर दुश्मन से युद्ध लड़ सकता है. यूएस नेवी सील्स के बाद पूरी दुनिया में सिर्फ मार्कोस ही ऐसा स्पेशल फोर्स है जो सभी तरह के हथियारों के साथ पानी में भी उतर सकता है. मार्कोस की स्थापना 1987 शताब्दी में की गयी. मार्कोस में शामिल होने वाले जवानों का सेलेक्शन इंडियन नेवी से किया जाता है.
सेलेक्शन प्रॉसेस काफी टफ होता है. इसमें कामयाब होने के बाद सेलेक्टेड कैंडिडेट्स को दो साल तक का ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना पड़ता है. काउंटर टेररिज्म, होस्टेज रेस्क्यू, डायरेक्ट एक्शन समेत सभी तरह के हाई रिस्क सिचुएशन में मार्कोस की मदद ली जाती है. मार्कोस के जवान अपने साथ असॉल्ट राइफल, अंडरवॉटर असॉल्ट राइफल, मशीनगन और एक ग्रेनेड लॉन्चर, एंटी टैंक वेपन समेत कई तरह के आधुनिक हथियार रखते हैं.
1. Eko Cobra
ऑस्ट्रिया के एको कोबरा पुलिस टैक्टिकल यूनिट को दुनिया का सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्स माना जाता है. एको कोबरा ने वॉरियर कॉम्पिटिशन में दुनिया के 37 एलीट स्पेशल फोर्सेस को पीछे छोड़ते हुए इस कॉम्पटीशन में टॉप प्राइज हासिल किया था. एको कोबरा के सदस्यों की संख्या सिर्फ साढ़े चार सौ है. एको कोबरा का मेन मिशन काउंटर टेरेरिज्म, होस्टेज रेस्क्यू और लो इनफोर्समेंट है.
टॉप सेलेक्शन प्रॉसेस में पास होने के बाद सेलेक्टेड कैंडिडेट्स को छह महीने तक चलने वाले फेस्ट ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना पड़ता है. एको कोबरा के जवान असॉल्ट राइफल, सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल, मशीन पिस्टल, सब मशीनगन, एंटी मटीरियल राइफल, सेमी ऑटोमैटिक शॉट गन और ग्रेनेड लॉन्चर जैसे हथियारों का इस्तेमाल करते हैं.