यूरोप के 10 सबसे गरीब देश कौनसे हैं?

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दोस्तो ! दुनिया में आज 195 देश मौजूद हैं । हर देश की अपनी संस्कृति, पहचान और अर्थव्यवस्था है । इन नाना प्रकार के देशों में कई बेहद अमीर और उन्नत देश हैं तो कई ऐसे देश भी मौजूद हैं जिनकी आर्थिक हालत बेहद खराब है । यूरोप दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप है और इसमें 44 देश मौजूद हैं । यूरोप में भी कई बेहद अमीर देशों के साथ गरीब देश भी मौजूद हैं । यूरोप का एक बेहद क्रांतिकारी इतिहास रहा है और जब सोवियत यूनियन क्रैश हुई तो कई देशों की आर्थिक व्यवस्था दयनीय हो गई और वे दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक बन गए । आज हम आपको बताने जा रहे हैं यूरोप के 10 सबसे गरीब देशों के बारे में और हम उनकी गरीबी का कारण भी जानेंगे:

10 – बुल्गेरिया : अपने मुख्य बाजार को होने के कारण बुल्गेरिया आज यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक बन गया है । बुल्गेरिया के बर्बाद होने की कहानी 1990 से शुरू होती है जब इसने अपने देश में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करने के लिए और एक फ्री मार्केट इकोनॉमी को बनाने के प्रयास किए तो उसके कारण बुल्गेरिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर हो गई । लेकिन जब देश अर्थव्यवस्था को थोड़ा मजबूत कर ही पाया था कि 2008 में हुए वित्तीय संकट से देश की अर्थव्यवस्था फिर ठप हो गई और इन दो घटनाओं के बाद बुल्गेरिया की अर्थव्यवस्था इतनी बुरी हो गई कि यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक बन गया । यूरोप में 41 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों को गरीबी रेखा में गिरने का खतरा रहता है । यही नहीं बुल्गारिया की दस प्रतिशत जनसंख्या सबसे निचले दर्जे की गरीब है । बुल्गारिया के एक साल की पर कैपिटल जीडीपी केवल और केवल 8031 डॉलर या फिर पांच लाख 62 हजार रह गई है।

9 – मोंटेनेग्रो : मोंटेनेग्रो एक छोटी सी अर्थव्यवस्था वाला देश है जो केवल ऊर्जा उद्योगों पर ही निर्भर रहता है, यह दक्षिणी यूरोप में मौजूद बाल्कन समूह का एक देश है । शहरीकरण के बढ़ने और अधिक पेड़ों की कटाई के कारण यहां के प्राकृतिक संसाधन लगभग समाप्त हो गए हैं । यहां लिंग और उम्र के भेदभाव के कारण लोगों की पैदावार में बहुत फर्क है जिसके कारण ये देश काफी गरीब है। यहाँ की गरीबी दर औसतन राष्ट्रीय गरीबी दर से भी आठ गुना अधिक है जो इसे यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक बना देता है। यहाँ ना तो लोगों को अच्छी शिक्षा मिल पाती है और ना ही अच्छी नौकरी । यह अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर भी बेहद अधिक है । मोंटेनेग्रो की प्रति वर्ष की पर कैपिटा जीडीपी केवल 7 हजार 669 डॉलर या 5 लाख 36 हजार रुपए है जो इसे यूरोप का नौवां सबसे गरीब देश बना देता है ।

8 – बेलारूस : एक तरफ जहां रूस दुनिया के सबसे उन्नत और ताकतवर देशों में से एक है वहीं उसके ही जैसे नाम वाला बेलारूस यूरोप का आठवां सबसे गरीब देश बन गया है । अन्य देशों की तरह एक समय था जब बेलारूस की एक मजबूत अर्थव्यवस्था और जीवन का स्तर काफी ऊंचा हुआ करता था लेकिन यूएसएसआर से अलग होने के बाद बेलारूस ने अपने और व्यवस्था का वजूद ही खो दिया । बेलारूस को 1996 तक कठिन स्थिति और गरीबी का सामना करना पड़ा । जब यहां की अर्थव्यवस्था ने वापस उठाना शुरू किया तब 2006 से 2011 के बीच कई यूरोपीय देश यूएसएसआर से अलग होकर दुष्प्रभावों को झेल रहे थे तब बेलारूस का खर्चा 40 प्रतिशत तक बढ़ गया था । लेकिन फिर भी उसकी अर्थव्यवस्था इतनी अच्छी नहीं हुई थी । 2017 के आँकड़ों के अनुसार बेलारूस की पर कैपिटा जीडीपी केवल चार लाख 39 हजार रुपए है ।

7 – सर्बिया : यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक है सर्बिया जिसका इतिहास काफी पुराना और रोचक है । ये सदियों से कई लड़ाइयों में शामिल होता आया है और शायद इसीलिए आज इसकी अर्थव्यवस्था काफी दयनीय हो चुकी है । 2009 में सर्बिया की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ में और भी गिरावट आई और वो भी तीन प्रतिशत की । जिससे पूरे देश पर एक बड़ा प्रभाव पड़ा । सर्बिया की 25 प्रतिशत से भी ज्यादा जनसंख्या गरीबों की श्रेणी में आती है । यहां की करंसी सर्बियन डिजाइनर है और एक यूएस डॉलर लगभग 107 दशमलव 3 8 सर्बियन दीनार है । यह दुनिया के मानव संसाधन की गिनती वाले देशों में 63 वें स्थान पर आता है । 8 साल की आर्थिक उन्नति के बाद एक बड़ी गिरावट के बाद सर्बिया की प्रतिवर्ष पर कैपिटा जीडीपी 5900 डॉलर यानी लगभग 4 लाख 13 हजार रुपए के आसपास रह गई है जिसके कारण ये दुनिया का सातवां सबसे गरीब देश है ।

6 – उत्तरी मैसेडोनिया : नॉर्थ मैसेडोनिया दुनिया का छठा सबसे गरीब देश है । 1991 में आजादी मिलने के बाद नॉर्थ मैसेडोनिया की अर्थव्यवस्था काफी उथल पुथल हुई और इस दौरान इस देश की अर्थव्यवस्था में लगातार धीमी गति से उन्नति भी हुई । यह दक्षिण पूर्वी यूरोप के बाल्कन पेनिनसुला में मौजूद एक देश है । वर्ल्ड बैंक द्वारा 2009 में इसे 170 देशों में चौथा सबसे अधिक सुधार वाला देश बताया था लेकिन अफसोस यह सुधार भी काफी नहीं था । इस देश को गरीबी की भयंकर समस्या से निकालने के लिए देश की 90 प्रतिशत जीडीपी व्यापार पर ही निर्भर है और उत्तरी मैसेडोनिया में बेरोजगारी दर 16.8 प्रतिशत के आस पास है जो उसकी गरीबी और अर्थव्यवस्था की उन्नति न होने के मुख्य कारणों में से एक है । नॉर्थ मैसेडोनिया की पर कैपिटा जीडीपी 5442 डॉलर या तीन लाख 80 हजार भारतीय रुपए के आसपास है जो सच में एक बेहद बड़ी समस्या है ।

5 – बोस्निया हर्जेगोविना : बोस्निया और हर्जेगोविना को बोस्निया हर्जेगोविना के नाम से भी जाना जाता है । अगर आपको भयंकर गरीबी का उदाहरण देखना है तो इस देश में इसका सटीक उदाहरण आपको देखने को मिलेगा । बाजार में बदलाव और युद्ध के कारण ये एक बेहद कमजोर अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है । युद्ध में जरूरत काम करने की उम्र वाले लोगों को मरना पड़ा जिससे देश के वर्कफोर्स और अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बुरा प्रभाव पड़ा । इसके कारण महिलाओं को जो कम आय मिलती थी उसने कई परिवारों को गरीबी के अंदर ढकेल दिया । लेकिन आय और वर्किंग कंडीशन में कोई बदलाव नहीं हुए और देश की हालत बद से बदतर होती चली गई । इन सब के कारण ही आज इस देश की पर कैपिटा जीडीपी 5 हजार 180 डॉलर या 3 लाख 62 हजार रुपए है । इसके साथ ही यूरोप का पांचवा सबसे गरीब देश बन गया है ।

4 – अर्मेनिया : अल्बानिया अर्मेनिया यूरोप के दक्षिणी पूर्वी इलाके में मौजूद एक बेहद गरीब देश है । सोवियत यूनियन से 1990 के दशक में अलग होने के बाद इस देश की अर्थव्यवस्था सामाजिक अर्थव्यवस्था से औद्योगिक अर्थव्यवस्था में तब्दील जरूर हुई लेकिन  गरीबी की समस्या को बदलाव मिटा नहीं पाया । एलुमिनी आज भी गरीबी की भयंकर समस्या में फंसा हुआ है और इसका सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी । बाल्कन क्षेत्र का ये चौथा सबसे अधिक बेरोजगारी वाला देश है । यहां प्राकृतिक संसाधन जैसे कोयला, नैचुरल गैस, लोहा, चूना पत्थर और तेल के कारण इस देश की आर्थिक स्थिति लगातार बेहतर हो रही है लेकिन आज भी ये देश इतना गरीब है कि यूरोप का चौथा सबसे अधिक गरीब वाला देश बन चुका है । इस देश की प्रतिवर्ष की पर कैपिटा जीडीपी भी काफी निराशाजनक है जो इस देश की आर्थिक कमजोरी को दिखाती है ।

3 – कोसोवो : कोसोवो यूरोप का एक ऐसा देश है जो इस देश की गुलामी में था जो आज यूरोप के सबसे गरीब देश में से एक है, सर्बिया कोसोवो को सर्बिया से 2008 में आजादी मिली । ये वही समय था जब सर्बिया की अर्थव्यवस्था काफी स्थिर लग रही थी लेकिन कोसोवो के आजाद होने के बाद एक बड़ी गिरावट के साथ सर्बिया की अर्थव्यवस्था अब एक बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई। क्योंकि ये पहले सर्बिया जैसे देश का गुलाम था इसलिए आप इसकी अर्थव्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगा ही सकते हैं । कोसोवो की लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे आती है । 2016 में यहां बेरोजगारी 38 प्रतिशत से भी ज़्यादा थी और ज़्यादातर परिवार 500 यूरो प्रति महीना से भी कम कमाते थे जिससे आप इनकी गरीबी और फटे हाली का अंदाजा लगा ही सकते हैं । कोसोवो प्रतिवर्ष की तीन हजार 893 डॉलर या 2 लाख 72 हजार की पर कैपिटा जीडीपी के साथ दुनिया का तीसरा सबसे गरीब देश बन गया है ।

2 – यूक्रेन : सबसे तेजी से गिरने वाली अर्थव्यवस्था वाला देश यूक्रेन को माना जाता है । एक समय था जब सोवियत यूनियन में यूक्रेन दूसरी सबसे बड़ी और मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश था और आज यूरोप का दूसरा सबसे गरीब देश बन गया है । औद्योगिक और कृषि क्षेत्र के एक बड़े योगदान के साथ यूक्रेन की अर्थव्यवस्था सोवियत यूनियन की दूसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था थी । सोवियत यूनियन से अलग होने के बाद अन्य देशों की तरह इसकी अर्थव्यवस्था भी प्लांड इकॉनमी से मार्केट इकॉनमी पर आ गई । किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक समय का इतना उन्नत देश गरीबी की ऐसे अंधकार में फंस जाएगा कि जिसमें से निकलना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा । यूक्रेन की ज़्यादातर जनसंख्या गरीबी का शिकार है । आज एक लाख 84 हजार रुपए की पर कैपिटा जीडीपी के साथ यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक है ।

1 – मोल्दोवा : मोल्दोवा यूरोप का सबसे गरीब देश है । अन्य देशों के जैसे ही ये सोवियत यूनियन का हिस्सा था लेकिन अन्य देशों से अलग सोवियत यूनियन से अलग होने के कारण इस देश की अर्थव्यवस्था पर कुछ ज़्यादा ही प्रभाव पड़ा और देश की अर्थव्यस्था एक समय लगभग ठप हो गई । यहां बड़े पैमाने पर उद्योगों की कमी खाने की असुरक्षा और अर्थ व्यवस्था की बुरी स्थिति के कारण जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा में आ गया और देश की हालत दयनीय हो गई । हालांकि इस देश ने काफी तेजी से प्रगति करते हुए देश में गरीबी दर को 3.2 प्रतिशत से 9.6 प्रतिशत तक घटा दिया था लेकिन लोगों के गरीबी रेखा के बाहर निकलने के कारण देश की अर्थव्यवस्था में कुछ स्थिरता तो आई लेकिन ये पूरी तरह से गरीबी को हटा नहीं सका । यूरोप के सबसे गरीब देश मोल्दोवा की पर कैपिटा जीडीपी केवल 2 हजार 288 डॉलर या 1 लाख 60 हजार रुपए है ।

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